मन मै एक तीर सा लगा हे.
खून से जैसे सपना जगा हे.
हर पल हर सास..
अब मतलब का एहसास दिलाता हे.
हर विचार..हर विचार
नै कहानी बताता हे.
मन मै एक तीर सा लगा हे.
तेरी हर चल पर मेरे निगाह हे..
शायद मै अब समजह गया हु.
मेरा तुमसे दूर रहना.
और ये दुरिया दरमिया
बढ़ते जाना.
जिससे की ये मुमकिन हो जन.
की तेरी याद न आए.
और मुश्किल हो जाता हे
पर्ची बिना जीना.
मन मै अब एक तीर्सा लगा हे
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