अब पांची हे मेरी पतंग.
नही तो न कोई गम हे संग.
मै तो बस खिल सा जाता हु.
हरपाल नए दोस्त जब पता हु.
जब सोचता हु कभी ..
क्या थी मेरी ज़िन्दगी.
जब तू स्सथ थी.
गम को गम न कह सकू.
माँ खुशी थी खुशी.
प्यार को प्यार न कह सकू..
तू बिल्कुल थी नही.
अब तुम जो नही हो..
तो कोई गम भ नही हे..
मस्त हे ज़िन्दगी.
सही चल रही हे..
बर्बाद हु..बीमार हु..
तू डोर हे ..मै पतंग हु..
दंग हु..बेरंग हु.
अब जब मेने सोचा..
तुम जो यहाँ हो..
तो सुबकुछ खाफा हे..
तू जो नही हो..
वो क्यों बन रही हो..
तुम जो नही हो..
तो सबकुछ सही हे॥
तुम्हे भुल्पना..इतना मुश्किल नही.
हम तो बस मिल गए.
पर कोई पता नही था.
अपना यु जुद्जना.
मुजहे बता नही था.
अब सुकून हे ज़िन्दगी.
जब तुज्ह्से मिलना गम नही.
इत्यादि.
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