Monday, August 17, 2009

निरोध के विरोध मै

कितने सारे, कितने सारे, कितने सारे बच्चे मेरे
उसका कोई नाप नही, इसमे मेरा कोई पाप नही.
कितने सारे, कितने सारे, कितने सारे बच्चे मेरे
मै तो बस पैदा करता हु, उनका पालन कोन करे?

एक विचार , जैसे एक हे जीवन
जिसकी जननी मेरा मन.
और बाप,
ये इर्द गिर्द जिंदगी

हर एक विचार , एक हे बच्चा
धुले चावलों परे हे सच्चा.

ऐसे हजारो बच्चो को मै हर दिन जन्म देता हु
कुछ अच्छे कुछ बुरे, कुछ गोरे कुछ काले, क्या मै उन्हें अपनाताहू?

हर बच्चा एक विचार
हर विचार एक हे बच्चा
कुछ बच्चे बड़े हुए
कुछ दारू पीके टल्ली होके मेरे मन मै पड़े रहे
बादमे उन्हें मारा गया, या जिंदा ही उन्हें दफनाया गया

यहाँ बच्चे, वहा बच्चे, रोते बच्चे, हसते बच्चे
कीटकिटांते , गिडगिडाते, गंदे फिसुल नंगे बच्चे

हर एक बच्चा सोचता हुआ.
कोहू मै मेरा अस्तित्व क्या?
मै जो हु , वो हु मै नही
जैसे जो सोचे वही सही

एक सोच, एक ख़याल, एक इंसान , एक जुबान
एक सोच , एक ख़याल, एक ही इंसान पर कितने सारे बच्चे

सोच गई भाडमे, बच्चा आया लाड़मे
लाखो मुर्दा लाशों भीतर, एक बच्चा खड़ा हुआ
मेरे मानसिक अनाथाश्रम मै एक तो बच्चा बड़ा हुआ
साला एक तो बच्चा बड़ा हुआ.
एक तो बच्चा बड़ा हुआ.

~
कावकाव

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