Wednesday, August 19, 2009

बारिश ना हुआ

बारिश ना हुआ
रुखी सुखी हवा
देखो, क्या हमने पाया
चातक मर गया

कब हम जागेंगे?
जब टूटेगा सुंदर सा सपना?
कब कुछ करेंगे?
जब देखे कोई मरता अपना?

देरी हो न जाए
हम चाहे बत्ती जलाए अंधेरो मै माचिस धुंन्दते धुन्दते
देरी हो न जाए

जब रोशनी हे
तभी जानले आनेवाला कल
या लाशे पड़ी हे
उनमे पहेचान अपनी शकल

बारिश न हुआ
रुखी सुखी हवा
देखा, क्या हमने पाया
चातक मर गया

खेतोमे बैठे किसान
भीगी आखे देखे आसमान
बस रोटी, कपडा और मकान
पर यहाँ जीना नही आसन

हर योजना हे सफल
पर खेतो न उगती फसल?
जमीनों पानी भी न लगा
जब किसानो ने खोदा कुआ
बारिश न हुआ
रुखी सुखी हवा
देखा, क्या हमने पाया
चातक मर गया

कभी, कही, किसीने कहा
समझो अन्तिम घड़ी मै गुजरता जहा
जब पानी की हो आनीबनी
अधूरी हे हर एक कहानी

देखो, क्या हमने पाया?
कठिनाई और बद दुआ
बारिश न हुआ
रुखी सुखी हवा
देखा, क्या हमने पाया
चातक मर गया
चातक मर गया

~


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